❤️श्री राधा मोहन❤️

 
❤️श्री राधा मोहन❤️
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रास रसिक गोपाल लाल. ब्रजबाल-संग बिहरत बृदाबन । सप्त सुरनि मुरली बाजति, धुनि सुनि मोहे सुर-नर-गंध्रब-गन । नृत्य करत उघटत सग कान्ह अरु तरुन गोपिका, पीतांबर नीलांबर तन-तन । प करत उघटत सँगीत पद, निरखि सूर रीझत मन ही मन ।
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