आली सांवरे की दृष्टि मानो
प्रेम की कटारी है।।
लागत बेहाल भई
तन की सुध बुध गई
तन मन सब व्यापो प्रेम
मानो मतवारी है।।
सखियां मिल दोय चारी
बावरी सी भई न्यारी
हौं तो वाको नीके जानौं
कुंज को बिहारी है ।।
चंद को चकोर चाहे
दीपक पतंग दाहै
जल बिना मीन जैसे
तैसे प्रीत प्यारी है।।
बिनती करूं हे स्याम
लागूं मैं तुम्हारे पांव
मीरा प्रभु ऐसी जानो
दासी तुम्हारी है।।६।।