❤श्री वेणुगोपाल❤

 
❤श्री वेणुगोपाल❤
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नैना लोभी रे बहुरि सके नहिं आय ।।टेक।। रोम रोम नख सिख सब निरखत, ललकि रहै ललचाय। मैं ठाढी गृह आपणे सखी री, मोहन निकसे आय।। बदन चन्द परकासत हेली, मंद मंद मुसकाय। लोग कुटुम्बी बरजि बरजहीं, मानस पर हाथ गये बिकाय। भली कहो कोई बुरी कहो, मैं सब लई सीस चढ़ाय। मीराँ प्रभु गिरधर लाल बिनु, पल भर रह्यौ न जाय।।
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