♥️भक्तिमति मीराबाई♥️

 
♥️भक्तिमति मीराबाई♥️
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ओढूँ लज्या चीर, धीरजि कौ घाघरौ। समता काँकण हाथ, सुरति कौ मूँदड़ौ। (टेर) अँगियाँ है बिसवास, चूड़ो चित ऊजलौ। दुलड़ी दिल दरियाव, साँच को दोवड़ो।।1।। दाँताँ इम्रत-मेख, दया को बोलबौ। ऊबटणों गुरज्ञाँन, ध्याँनकौ धोइबौ।।2।। नकबेसर हरिनाँव, काजलि म्हारै धरम कौ। बिन्दलो जग उजियार, तिलक ततसार कौ।।3।। ग्याँन अँगूठी कान, जुगति का झूठणाँ। जेलड सील सन्तोष, नरत का घूघरा।।4।। पटली ब्रह्म-ग्याँन, हरी बर राखड़ी। पहरि सुवागण नारि, झरोखै आ खड़ी।।5।। पतिबरता की सेज, साहिबजी पधारिया। मीराँ हरि की सरण, परम पद पाइया।।6।।♥️ सखी तैने नैना गमाय दिया रोय।(टेक) बालापन की चटक चुँदरिया, दिन दिन मैली होय।।1।। बालपने लड़किन सँग खेली, रंग रूप दियो खोय।।2।। वाही सोच मीराँ भई दिवानी, दरद न जानै कोय।।3।। लेनहार लेने कूँ आये, ले चल, ले चल, होय।।4।। मीराँ कहै प्रभु गिरधरनागर, वैद साँवरिया होय।।5।
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