❤️श्री राधा कुंजबिहारी❤️

 
❤️श्री राधा कुंजबिहारी❤️
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झूलत सुरंग हिंडोरें मुकुट धरि, बैठे हैं नंदलाल । लाल काछिनी कटि पर बांधे, उर शोभित वनमाल ॥ १ ॥ वाम भाग वृषभान नंदिनी, चंचल नैन विशाल । कृष्णदास दंपति छबि निरखत, अखियां भई निहाल ॥ २ ॥
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